40 पूजा के नियम जो पूजा के दौरान याद रखे जाने चाहिए।

हम सभी नित्य पूजा पाठ करते हैं लेकिन जाने अनजाने में पूजा के नियम का पालन नही कर पाते। जिसकी वजह से हमें पूजा के पूरे परिणाम नही मिलते हैं। आज कुछ सामान्य नियम जो पूजा के दौरान याद रखे जाने चाहिए, इस विषय पर चर्चा करेंगे।

थोड़ा सा भी ज्ञान रखने वाले जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम कौनसे हैं। छोटी छोटी बातें, छोटे छोटे पूजा के नियम आधुनिक युग में सिखाये नही जाते हैं। जिसकी वजह से पूजा में वो सफलता नही मिलती जो मिलनी चाहिए। आइये जाने की  घर में किस तरह पूजा करें की मिले सफलता?

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पूजा के नियम

1) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं।
2) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं।
3) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं।
4) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं।
5) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें।
6) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें।
7) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं।
8) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें।
9) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं।
10) एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए।
11) ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए।
12) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है।
13) बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए।
14) घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें।
15) तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो।
16) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है।
17) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है।
18) रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है।
19) परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें।
20) शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता।
21) शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए।
22) एक हाथ से प्रणाम न करें।
23) दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए।
24) चरणामृत पीकर हाथों को शिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें।
25) देवताओं को लोभान या लोभान की अगरबत्ती का धूप न करें।
26) स्त्री द्वारा हनुमानजी शनिदेव को स्पर्श वर्जित है।
27) कंवारी कन्याओं से पैर पडवाना पाप है।
28) मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें।
29) मंदिर में भीड़ होने पर  लाईन पर लगे हुए भगवन्नामोच्चारण करते रहें एवं अपने क्रम से ही  अग्रसर होते रहें।
30) शराबी का भैरव के अलावा अन्य मंदिर प्रवेश वर्जित है।
31) मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए।
32)घंटी को इतनी जोर से न बजायें कि उससे कर्कश ध्वनि उत्पन्न हो।
34)हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें।
35) मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए।
36) मंदिर में भगवान के दर्शन खुले नेत्रों से करें और मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों,दो मिनट बैठकर भगवान के रूप माधुर्य का दर्शन लाभ लें।
37) आरती लेने अथवा दीपक का स्पर्श करने के बाद हस्तप्रक्षालन अवश्य करें।
38)  इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलाते हैं, वे रोगी होते हैं।
39) बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
40) रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए।

इन सभी बताई गई बातें हमारे ऋषि मुनियों से परंपरागत रूप से प्राप्त हुई है। अगर आपने ऊपर लिखे पूजा के नियम का सही से पालन किया तो ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहेगी। यहाँ सिर्फ 40 नियम जो पूजा के दौरान याद रखने चाहिए , बताये गए हैं। समय समय पर और भी काम की बातें बताते रहेगें। कुछ समझ नही आये या कुंडली दिखाना चाहें तो संर्पक कर सकते हैं।

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