महाशिवरात्रि 2021

महाशिवरात्रि 2021 की तिथि

आइए जानते हैं कि  महाशिवरात्रि 2021 कब है और  महाशिवरात्रि  व्रत कथा और पूजा विधि क्या है।

इस बार महाशिवरात्रि  2021 का  त्योहार 11 मार्च 2021, वार गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन  व्रत रखने और शाम के वक़्त फलाहार करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन देश भर के मंदिरों में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए भक्तों की लम्बी लम्बी कतारे लग जाती हैं।

महाशिवरात्रि  2021 हिन्दुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।  महाशिवरात्रि का आयोजन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को  किया जाता  है। महाशिवरात्रि के दिन शिव-भक्त शिव मंदिरों में शिवलिंग पर बेल-पत्र, दूध और गंगाजल आदि चढ़ाकर पूजा, व्रत तथा जागरण करते हैं।

महाशिवरात्रि  2021 का महत्व इसलिए भी बहुत अधिक है क्योकि इसी दिन हरिद्वार में चल रहे महाकुम्भ में पहला शाही स्नान है।

महाशिवरात्रि 2021 | व्रत की पूजा-विधि

   1.   लोटे में पानी और दूध लें, ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के फूल, चावल डालकर मंदिर में  ‘शिवलिंग’ के उपर चढ़ाना चाहिए। लोटा अगर मिट्टी को हो तो बेहतर है। अगर घर के आस-पास शिव मंदिर नहीं है, तो उस स्थिति में घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन करना  चाहिए।

   2.  महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण करते हुए महामृत्युंजय मंत्र या  शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप और शिव पुराण का पाठ करना चाहिए।

   3.   शास्त्रोक्त विधि-विधान के अनुसार महा शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सबसे अच्छा माना जाता है । रात्रि के आठवें मुहूर्त को  ‘निशीथ काल’ कहा जाता है।  हालाँकि भक्त लोग रात्रि के चारों प्रहरों में से किसी भी प्रहर में अपनी  सुविधानुसार  पूजन कर सकते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं भगवान भोलेनाथ अर्थात  शिव ही हैं। अतः हर महीने  के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यह  तिथि अत्यंत ही  शुभ होती है।  यह भी जान लेना जरूरी है कि  महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं साथ ही ऋतु भी बदल चुकी होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कृष्ण  पक्ष की चतुर्दशी तिथि का चंद्रमा अपनी कमज़ोर स्थिति में होता हैं। चन्द्रमा मन का कारक है अतः चन्द्र को बलवान करने के लिए शिवजी के पूजन का विधान है।क्योंकि भगवान शिव  ने चन्द्रमा को मस्तक पर धारण किया हुआ है । ज्योतिष की आ ऊसर भगवान  शिव की आराधना व पूजा इच्छा-शक्ति को मज़बूत करती है और अन्तःकरण में आत्मविश्वास,  साहस व दृढ़ता का संचार करती है।

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महाशिवरात्रि व्रत कथा

महाशिवरात्रि को लेकर हमारे देश मे क्षेत्र के हिसाब से बहुत सी कथाएँ प्रचलित हैं। हम सब जानते हैं कि मां भगवती पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। कठोर तपस्या के  फलस्वरूप ही फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि  को भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। यही वजह है कि महाशिवरात्रि को अति महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।

वहीं इस दिन के महत्व को लेकर गरुड़ पुराण में एक अन्य कथा कही गई है, इस कथा के अनुसार इस दिन निषादराज अपने कुत्ते के साथ जंगल मे शिकार को गया परन्तु  उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह थककर चूर हो गया और भूख तथा प्यास से व्याकुल हो कर  एक तालाब के किनारे गया। वहाँ बिल्व वृक्ष के नीचे एक  शिवलिंग था। अपने शरीर को विश्राम देने के लिए निषादराज ने  कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। उसने अपने पैरों को साफ़ करने के लिए   तालाब का जल छिड़का, जल की कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। जब निषादराज ऐसा कर रहा था तो  उसका एक तीर नीचे गिर गया; तीर को उठाने के लिए वह शिव लिंग के सामने नीचे को झुका। इस तरह से निषादराज ने अनजाने में ही  शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया कर ली। मृत्यु के उपरांत यमराज के दूत जब निषादराज को लेने पहुँचे , तो भगवान शिव के गणों ने निषादराज द्वारा अनजाने में शिवरात्रि को भगवान शिव  की पूजा के फलस्वरूप उसकी रक्षा की  और यमदूत को वंहा से खदेड़ दिया।

अब आप ही अंदाजा लगाइये की जब अनजाने में ही  महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का इतना अद्भुत फल है, तो जानते और समझते  हुए देवों के देव महादेव का पूजन कितना अधिक फलदायी होगा।

महाशिवरात्रि 2021 व्रत विधि

इस बार महाशिवरात्रि त्रियोदशी को ही पड़ रही है। 11 मार्च 2021, वार गुरुवार की 2 बजकर 39 मिनट पर चतुदर्शी तिथि का आरंभ होगा । इस दिन सुबह जल्दी उठकर, स्नान आदि करके अपने पूजा स्थल की साफ सफाई करें।

भगवान शिव व माता पार्वती के चित्र को चौकी पर स्थापित कर पंचमर्त्त से स्नान कराएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, जल , दूध व फल आदि चढ़ाएं। भगवान सही को चन्दन का तिलक और माँ पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं।व्रत का संकल्प लेते हुए भगवान के मन्दिर जाकर भी पूजा अर्चना करें।

महाशिवरात्रि 2021 को कावड़ का महत्व

महाशिवरात्रि को भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करने का बहुत ही महत्व है। विशेषकर उत्तर भारत में भोले बाबा के भक्त गंगा मां के उद्गम यानी गंगोत्री और हरिद्वार से गंगाजल को कावड़ के रूप में पैदल चलकर अपने गांव या शहर को लाते हैं और शिवरात्रि के दिन गंगाजल को भगवान शिव पर अर्पित कर अपनी यात्रा को समाप्त करते हैं। भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु संकल्प लेते है की यदि मेरी कामना पूर्ण होती है तो मैं पैदल कावड़ ला कर भगवान भोले बाबा को जल चढ़ाऊँगा।

हम सब जानते हैं कि भोले बाबा सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान हैं। अतः साफ मन से और दिल की गहराई से , संकल्प लेते हुए भगवान शिव का शिवरात्रि के दिन यदि पूजन करेंगे तो भगवान आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करेंगे। इसमे कहीं भी कोई भी संदेह नही है।

यदि आपका महाशिवरात्रि 2021 को लेकर या किसी भी धार्मिक, अध्यात्मिक या ज्योतिष को लेकर कोई भी प्रश्न है तो बेझिझक आप टिप्पणी द्वारा हमसे पूछिये। हमे आपके प्रश्न का जवाब देने में खुशी होगी।

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