कुंडली से जानिए की आप पिछले जन्म में क्या थे। कुंडली के योगा योग बता देते हैं आपके पिछले जन्म के बारे में।
कुंडली से यह पता लगाया जा सकता है की किसी व्यक्ति का शरीर पिछले जन्म में किस रूप में था। जब भी कोई व्यक्ति पैदा होता है तो उस वक्त की ग्रह स्थिति , भुक्त और भोग्य दशा पिछले जन्म का राज बताने का कुछ ईशारा देती हैं।
हिंदू धर्म पुनर्जन्म को मानता है।गीता के उपदेश देते वक्त श्री कृष्ण भगवान ने बताया था की जैसे हम एक वस्त्र के पुराने होने पर उसको बदल कर नया वस्त्र धारण कर लेते हैं , वैसे ही हमारी आत्मा भी शरीर के वृद्ध होने पर दूसरा शरीर बदल लेती है। यानी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म होता है। गहरे से देखा जाए तो आत्मा की मृत्यु नही होती केवल आत्मा एक शरीर को छोड़ कर दूसरे शरीर में चली जाती है।
एक धारणा है की पिछले जन्म के कुछ अच्छे या बुरे कर्मों का फल हमें इस जन्म में भी भोगना पड़ता है। जब कई बार बहुत मेहनत करने पर भी काम नही बनते, काम बनते बनते रूक जाते हैं और अचानक बिना किसी वजह के अच्छा या बुरा हो जाता है तो यही माना जाता है की पिछले जन्म के कर्म आड़े आ रहे हैं।
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आइए आप स्वयं ही जान लीजिए अपने पिछले जन्म का राज।
पिछले जन्म का राज | क्या थे आप पिछले जन्म में
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· यदि किसी की कुंडली में लग्न में या फिर सप्तम भाव में शुक्र ग्रह विराजमान हो तो ऐसा माना जाता है कि वह पिछले जन्म में सभी सुखों को भोगने वाला व्यक्ति था।
· जिनका जन्म कर्क लग्न में और कर्क राशि में हुआ है तो वह व्यक्ति पिछले जन्म में व्यापारी होगा। ऐसे व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं और जीवन में उतार-चढ़ाव के बावजूद सफल होते हैं।
· अगर की व्यक्ति की जन्म कुंडली में चार या चार से ज़्यादा ग्रह उच्च राशि या स्व राशि के हों तो उस व्यक्ति ने पिछले जन्म में उत्तम योनि भोगकर वर्तमान जन्म लिया है।
· यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में चार या चार से ज़्यादा ग्रह नीच के हों तो ऐसा माना जाता है कि उस व्यक्ति ने पिछले जन्म में आत्महत्या की होगी।
· ज्योतिषियों का मत है की यदि किसी की जन्म कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में राहु स्थित हो तो जातक की पूर्व जन्म में स्वभाविक मृत्यु नहीं हुई होगी । ऐसे व्यक्ति चालाक होते हैं। यह उलझनों में घिरे रहते हैं और इनके वैवाहिक जीवन में आपसी तालमेल का अभाव रहता है।
· अगर आपकी जन्म कुण्डली में गुरु या बृहस्पति पहले घर में बैठे हों तो यह माना जाना चाहिए कि आपने पूर्वजन्म में विद्वान परिवार में जन्मे लिया था। आप बहुत ज़्यादा धार्मिक स्वभाव के थे।
· यदि आपकी जन्म कुंडली में पंचम , सप्तम या नवम भाव में उच्च का गुरु लग्न को देख रहा हो तो माना जाएगा की आप पिछले जन्म में धर्म का पालन करने वाले धर्मात्मा, विवेकवान और सद्गुणी थे। ऐसा माना जाता है कि गुरु पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, पंचम , नवम भाव या सप्तम भाव में स्थित हों तो जातक पिछले जन्म में संन्यासी था।इस जन्म में आप पढ़ने लिखने में होशियार होंगे।
· ज्योतिष के अनुसार जातक के लग्न में उच्च या स्वराशि का बुध या चंद्र स्थिति हो तो यह उसके पूर्व जन्म में सद्गुणी व्यापारी होने का सूचक है। लग्नस्थ बुध है तो वणिक पुत्र होकर विविध क्लेशों से ग्रस्त था।
· आप पिछले जन्म में बहुत क्रोधी स्वभाव के थे यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल छठे, सातवें या दसवें स्थान में स्थित है। आपने क्रोध के कारण कई लोगों को दुःख पहुंचाया होगा । आपको इस जन्म में दाम्पत्य संबंधो में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। चोट और दुर्घटना का भय रह सकता है।
· आप पिछले जन्म में योद्धा थे यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल लग्न उच्च राशि का होकर में विराजमान है।यानी मकर लग्न की कुंडली में अगर मंगल लग्न में स्थित है तो व्यक्ति पूर्वजन्म में योद्धा था।
· जन्म पत्री में छठे, आठवें या बारहवें भाव में और तुला राशि में स्थित नीच का सूर्य इस ओर इशारा करता है कि जातक पिछले जन्म में भ्रष्ट था।
· यदि किसी की जन्म कुंडली में प्रथम , चतुर्थ , सप्तम या एकादश, भाव में शनि स्थित हो तो यह माना जाता है कि वह पिछले जन्म में पापपूर्ण कामों में लगा हुआ था।
· यदि किसी की जन्म कुंडली में ग्यारहवें भाव में सूर्य, पंचम में गुरु तथा बारहवें भाव में शुक्र स्थित है तो यह माना जाता है कि वह पिछले जन्म में धार्मिक प्रवृत्ति था और वह लोगों की मदद करने में आनंद लेने वाला रहा होगा।
पिछले जन्म का राज और अगले जन्म का रहस्य
मृत्यु के बाद आत्मा किस रूप में पुन: जन्म लेगी, इसके बारे में भी ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है। जन्म पत्री को देखकर कुछ हद तक यह जाना जा सकता है। आइए जानते हैं अगले जन्म का रहस्य :
· जन्म कुंडली में कहीं पर भी उच्च के गुरु स्थित हो तो व्यक्ति का अगला जन्म उत्तम कुल में होता है।
· वृष लग्न में चंद्रमा लग्न में ही हो और कोई पापी ग्रह चंद्रमा की ना देखते हों तो ऐसे जातक को मृत्यु उपरान्त सद्गति पमिलती है।
· अष्टम भाव में स्थित राहु जातक को पुण्यात्मा बना देता है तथा ऐसा जातक अगले जन्म में राज परिवार में जन्म लेता है।
· अष्टम भाव में स्थित शुक्र पर यदि बृहस्पति की दृष्टि हो तो जातक अगले जन्म में बनिए के घर में पैदा होता है।
· अष्टम भाव पर मंगल और शनि दोनो ग्रहों की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है।
· अष्टम भाव में कोई ग्रह स्थित ना हो और अष्टम भाव पर शुभ , अशुभ किसी भी प्रकार के ग्रह की दृष्टि न हो तो व्यक्ति को ब्रह्मलोक प्राप्त होता है।
· यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न में गुरु तथा चंद्र, चतुर्थ भाव में उच्च का शनि एवं सप्तम भाव में उच्च का मंगल स्थित हो तो व्यक्ति वर्तमान जीवन में कीर्ति अर्जित करता हुआ मृत्यु के उपरान्त ब्रह्मलीन होता है। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
· लग्न में कर्क राशि के गुरु की चंद्रमा पर पूर्ण दृष्टि हो और अष्टम भाव में कोई भी ग्रह ना हों तो व्यक्ति जीवन में अनेकों धार्मिक कार्य करता हुआ मृत्यु के उपरान्त सद्गति को प्राप्त होता है।
· अष्टम भाव में मकर या कुंभ राशि हो और अष्टम भाव शनि द्वारा दृष्ट हो तो व्यक्ति मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक प्राप्त करता है।
· यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चार ग्रह उच्च के हों तो यह निश्चित है की ऐसे व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी कीर्ति बनी रहती है।
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Mera pichhalaa janam kya tha puri
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