पितृ दोष क्या होता है | संकटो से मुक्ति के लिए जाने पितृ दोष के कारण और उपाय।

पितृ दोष क्या होता है ?

पितृ दोष  क्या  होता  है यह  जानने से पहले हमें मालूम होना चाहिए कि पितृ पक्ष 2021 सितंबर महीने में प्रारंभ होंगे। हिंदू  पंचांग  के अनुसार, अश्विन मास  की  पूर्णिमा तिथि  से  पितृपक्ष 2021 आरंभ होंगे। पितृ  पक्ष 2021 अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या  तिथि  से कुल 16 दिनों तक मनाए जाते हैं। इस साल पितृ पक्ष 2021, 20,  सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक रहेंगे। 

पितृ दोष बारे में बहुत सी भ्रांतियां हैं। क्योंकि इसमें भिन्न भिन्न  मत  प्रचलित हैं। आज हम  विस्तार से जानेंगे  कि पितृ दोष होता क्या है? पितृदोष क्यों होता है? आखिर यह  दोष  कुछ  लोगों  या परिवारों  में  ही  क्यों होता है।  देखिये  कुछ लोगो का  मत है कि अपने पूर्वजों का ठीक से अंतिम संस्कार नहीं करने, श्रद्धा पूर्वक या विधि पूर्वक श्राद्ध नहीं करने , पूर्वजो की दुर्गति और अवज्ञा करने से पितृ दोष होता है।

अब सवाल यह उठता है  कि  कुंडली में पितृ दोष क्यों होता है  क्योंकि  नवजात  बालक ने पूर्वजों  की अवज्ञा नहीं कि होगी फिर उसकी कुंडली में पितृ दोष क्यों? तो क्या फिर  पितृ  दोष  पूर्व जन्म का  है? क्योंकि  कुंडली  तो प्रारब्ध दिखाती है जो पूर्व जन्मों के पाप और पुण्य से होते है।

इसका जवाब है  हाँ, पितृ दोष उसी नवजात के पिछले  जन्म के कर्मो का फल है। तो इसका अर्थ यह हुआ की उस नवजात की  आत्मा पितृ  लोक से  आयी  है और शायद उसी परिवार के किसी पूर्वज की है। यह होता है कर्म के नियम का प्रत्यक्ष उदाहरण। जिसने पाप किये, उसी को उसी परिवार में जन्म दिया और वह भी पितृ दोष के साथ।

क्योंकि पितृ दोष का संबंध आत्मा से है, इसीलिये सूर्य से भी सम्बंधित है। क्योकि ज्योतिष में सूर्य आत्मा का कारक है। कुंडली में  सूर्य यदि शनि , राहु, अथवा केतु से पीड़ित हो तो पितृ दोष होता है। इसका सम्बन्ध अगर लग्न, पंचम या नवम भाव से हो तो ऐसी आत्मा को पितृ लोक से आयी हुई आत्मा मानते हैं। आखिर लग्न, पंचम और  नवम भाव  ही  क्यों?  क्योंकि ज्योतिष  शास्त्र के अनुसार  लग्न  से पंचम आपका पुत्र का, नवम आपके पिता का, पंचम भाव नवम से नवम भी होता है अर्थात आपके दादा का, तो ये तीनो भाव एक तरह से आपके खानदान के सूचक है। कुंडली में इन्ही भावो से संचित कर्म, आगामी कर्म, और प्रारब्ध को भी देखा जाता है।

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पितृ दोष कब लगता हैं?

आइये जान लेते हैं की पितृ दोष कब लगता हैं-

• पितरों का विधिवत् अंतिम संस्कार और श्राद्ध का न होना।

• पितरों को भुला देना या जाने अनजाने उनका अपमान करना।

• धर्म के विरुद्ध आचरण करना।

• फल से लदे वृक्ष, पीपल और वट इत्यादि को कटवाना।

• काले सर्प की हत्या या तो करना, अथवा हत्या का कारण बनना।

• गौहत्या या गाय का अपमान करना।

• पवित्र स्थान जैसे  नदी, कुंआ, तालाब आदि पर मल-मूत्र विसर्जन करना।

• कुल देवता और देवी को भुला देना या उनका  अपमान करना।

• पवि‍त्र व धार्मिक स्थल पर गलत कार्य करना।

• पवित्र तिथि को संभोग करना जैसे पूर्णिमा, अमावस्या को।

• गुरु की पत्नी आदि पूज्य स्त्री के साथ संबंध बनाना।

• नीचे कुल में विवाह करना।

• पर स्त्रियों से शारीरिक संबंध बनाना।

• किसी जीव की हत्या करना या गर्भपात करना।

• कुल की स्त्रियों को अमर्यादित होने देना।

• पूज्य और आदरणीय व्यक्तियों का अपमान करना।

पितृ दोष को कुंडली में कैसे पहचानें?

कुंडली में  सूर्य पिता  का कारक  माना गया है। अतः कुंडली के  नवम या  पंचम भाव मे  सूर्य के साथ राहु अथवा केतु हों तो पितृ दोष माना जाता है।

कुछ मान्यताएं ये भी है कि अष्टम भाव मे सूर्य के साथ राहु केतु की युति भी पितृ दोष का निर्माण  करती है।

कुछ धारणाएं ये हैं कि नवम भाव के स्वामी अथवा सूर्य के साथ राहु केतु या शनि की युति कुंडली के किसी भी भाव में होने पर भी पितृ दोष हो जाता है।

लेकिन जहाँ तक मेरा मानना है कि पितृ दोष का सम्बन्ध हमारे  पूर्वजों से है  अतः बिना नवम  भाव के संलग्न हुए पितृ दोष नहीं बनता ।

पूर्वजों का अपमान  करने  या अपने  पितृ धर्म को छोड़ देने  आदि  से पितृ  ऋण बनता  है, इस  ऋण  का दोष आपके बच्चों पर लगता है जो आपको कष्ट देकर इसके प्रति सावधान करते हैं।  पितृ दोष  के कारण व्यक्ति की मान प्रतिष्ठा  पर आंच  आने  के  साथ-साथ संतान की ओर  से  कष्ट, संतान का  न होना,  संतान  का स्वास्थ्य खराब रहना या संतान के बुरी संगति में रहने से परेशानी झेलनी पड़ती है।

पितृ दोष के लक्षण क्या हैं?

पितृ दोष के मुख्य लक्षण यह होते हैं:

• बिना किसी विशेष कारण के कार्यों में बाधा आना।
• घर में बिमारी लगे ही रहना।
• घर में सदा क्लेश , झगड़ा व् आर्थिक तंगी होना।
• हमेशा बुरे सपने आना।
• मन में हमेशा डर सा लगते रहना।
• सपने में बार बार सांप को देखना।
• बहते पानी  के सपने देखना।
• बार बार हाथ से खाना गिर जाना।
• परिवार या वंश का आगे न बढ़ना।
• बच्चे न होना, बांझपन योग।

पितर दोष के दुष्परिणाम

पितर दोष के बहुत से दुष्परिणाम देखे गए हैं-

असाध्य और गंभीर प्रकृति का रोग होना।अनुवांशिक रोग होने यानी ऐसे रोग होना जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहे। अगर पितृ दोष थोड़ा गंभीर रूप ले ले तो कानूनी झगड़े में पड़ना, मानसिक अशांति व अवसाद, बच्चो
पर संकट , दम घुटना आदि की परेशानी भी आती है।

पितृ दोष से मुक्ति के कुछ विशेष उपाय

• पितृ दोष से मुक्ति के लिए  सूर्य को जल देना चाहिए तथा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

• पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में पित्ररों का पिण्ड दान यदि संभव हो तो गया जी जा कर करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

• हर अवमस्या पर  देशी घी की चार पूरी और थोड़ी सी खीर  बनवा कर  किसी  पीपल के पेड़ के नीचे रखें साथ थोड़ा सा पानी भी रखें और पित्रों से क्षमा मांगे कि  जाने – अनजाने में हमसे जो भी गलती या अपराध हो गया  हो तो क्षमा -करें और  परिवार का कल्याण करें ।

• श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ करें।

• मोक्ष गायत्री मंत्र का सवा लाख जप और हवन कराएं।

• त्रिपिंडी श्राद्ध कराएं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि पितृरों का श्राद्ध दोपहर के समय करना चाहिए एंव श्राद में सबसे पहले गाय , फिर कौवे और अंत मे  कुत्ते का ग्रास निकालना चाहिए। यह सभी जीव यम देवता के नजदीक माने गए हैं। गाय का ज्‍यादा महत्‍व इसलिए है  क्‍योंकि हम सब जानते ही हैं कि गाय को वैतरणी पार कराने में सहायक माना जाता है।ध्यान रहे  कि श्राद्ध में सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।

• पीपल के पेड पर जल, दूध, गंगाजल, पुष्प, काले तिल चढ़ाएं और  अपने पित्तरों  को याद कर उनसे माफी और साथ मे आशीर्वाद भी मांगे।

• रविवार के दिन गौ माता को गुड़ या गेंहू खिलाएं।

• पितृस्‍तोत्र  पाठ  कराएं और  अपने  पूवजों से सुख, समृद्धि, शांति, स्वास्थ्य व सफलता की कामना कर अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों, गरीबों को दान देना चाहिए।

मेरा अपना मानना है कि पितृ दोष निवारण के लिए आप सिर्फ  आदित्य हृदय  स्तोत्र का पाठ करें आदित्य मतलब सूर्य  यानी  सूर्य नारायण  का  पाठ  कीजिये।   पितृ दोष निवारण  का सबसे  महत्वपूर्ण  एक  ही उपाय है। अपने घर  में  जो बड़े  हैं  उनका आदर ,सम्मान करें। उन्हें खुश रखिये। उन्हें  कभी भी  अपमानित ना करें । उनका दिल न  दुखाएं। उनके  साथ  हर  दिन  थोड़ा समय  बिताएं। उनके  लिए कभी  कभी  उपहार  ले  कर  जाएं। उनका जन्मदिन , शादी की सालगिरह आदि याद रखें और उस दिन उनको मुबारकबाद दें। घर  के  बुजुर्गों  का प्रतिदिन  पैर छू कर आशीर्वाद लें।

मेरा मत है कि आप अगर  यह उपाय  करते हैं   तो  पितृ  दोष  का  बहुत  ही  हद  तक निवारण हो सकता है। आप  खुश , स्वस्थ  और  सम्पन्न जीवन  जी  सकते  हैं। क्योंकि  पितृ  दोष की साफ पहचान  है बकि  आपके काम  बनते  बनते एक दम से बिना किसी कारण  रूक जाएं। सब  कुछ  सही  होते  हुए भी  जिस दिन काम बनाना हो उस  दिन  अकारण ही रुकावट आ जाये। अगर आपके  साथ ऐसा होता है तो सिर्फ  ऊपर बताये  गए काम कर लीजिए फिर कभी भी काम नहीं रुकेंगे। एक बार करके तो देखिए।

क्या स्त्रियों को भी पितृ दोष लगता है?

यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है जो अक्सर छूट जाता है और जिसकी अधिक चर्चा नही होती कि क्या स्त्रियों को भी  पितृ दोष लगता है? नियम की माने तो हां स्त्रियों को भी पितृ दोष लगता है। क्योंकि नियमानुसार पितृ दोष के लिए  स्त्री पुरुष  का भेद नहीं  बताया गया। पर क्या यह सही है और इसे मान लेना चाहिए? चलो मान लेते है कि किसी स्त्री  ने अपने  पूर्वजों के  साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया ( क्योंकि शास्त्रों के अनुसार  पितृ दोष का यह भी एक कारण है ),  तो  अगले  जन्म  में  उसको  प्रतिफल मिलना चाहिए।

अब सोचो कि उसका अगला जन्म कहाँ होना चाहिए? अपने ही  पति के घर या कहीं और? अगर अपने पति के घर हुआ  तो  वह तो  उस घर  की बेटी हो जायेगी और विवाह के बाद ससुराल यानी दुसरे घर चली जायेगी। ऐसे में उसको प्रतिफल कहाँ मिले? हाँ, यह तब तो संभव हो सकता है जब  वह किसी दुसरे घर में जन्मे और फिर अपने पुराने घर में शादी करके आये। मेरा मत है कि  यह  सब काल्पनिक  है  इसका  कर्म सिद्धान्त से कोई सीधा मेल नहीं है, क्योंकि वह तो ईश्वर तय करता है मनुष्य नहीं।

इसका  सीधा सा  मतलब  यह हुआ कि स्त्री की आत्मा कम से कम पितृ दोष के कारण तो पितृ लोक से वापिस नही  आएगी, हाँ, मातृ ऋण या  स्त्री ऋण से आ सकती है। अब मान लो कि किसी लड़की की कुंडली में सूर्य राहु के साथ पंचम भाव में हुआ और उसके पति के वंश वृद्धि में  परेशानी आए, या  उसकी  संतान  खराब  और  क्रूर स्वभाव  की हो  जिसकी वजह से  शायद उसको उसके बुढ़ापे में कोई सँभालने वाला न हो। तब  तो ये तो पितृ दोष फलित हो गया। इसका मतलब निष्कर्ष यह निकला की पितृ दोष तो दोनों ही की कुंडली में प्रतिफलित होता है।

आज  हमने विस्तार  से जान लिया  कि  पितृ  दोष क्या होता है | पितृ दोष के कारण और पितृ दोष को दूर करने के  उपाय क्या हैं। साथ ही पितृ पक्ष 2021 की तिथि के विषय मे भी जाना। कुंडली मे पितृ दोष कैसे देखें इस पर भी ज्ञान प्राप्त किया।

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