हमारी कुंडली मे 27 नक्षत्र होते हैं जो हमारे शरीर में सूक्ष्म रूप से रहते हैं। आज हम जानेंगें 27 नक्षत्रों के नाम ,कौन है देवता उन नक्षत्रों के और नक्षत्रों को बलवान करके पूर्ण लाभ लेने के लिए क्या उपाय करें।
हमारी कुंडली का जो भी नक्षत्र बलवान होता है वह जिस भी भाव मे होता है , उस भाव के हमें हर प्रकार से शुभ फल प्राप्त होते हैं। आगे मै नक्षत्रो के नाम ओर उन नक्षत्रो को बलवान करने के मंत्र लिख रहा हूँ। आपको जो भी नक्षत्र बलवान करना हो आप उस नक्षत्र के मंत्र का जाप करके उस नक्षत्र के देवता से प्राथना करें “हे देवता ,आप मेरी कुंडली के इस नाम वाले नक्षत्र को बलवान करने की कृपा करें इसी लिए मैने आपके मंत्रो का जाप किया है ओर कोई कारण नही है “।
किसी भी नक्षत्र का मंत्र जाप करने से पहले अपने इष्ट देव के मंत्र का कम से कम एक माला जप करें ओर उनसे प्राथना करें की आप मेरी सदा हर प्रकार से रक्षा करें फिर नक्षत्र मंत्र का जाप करें ।आपको जितनी भी माला जप करना है मंत्र जाप के बाद यह प्राथना अवश्य करें ” मुझसे आपके मंत्र जप करते वक़्त जितने भी अपराध और गलतियां हुए हैं उन अपराध और गलतियों के लिए मै आपसे क्षमा माँगता हूँ। मुझे माफ करने की कृपा करें।
आइये जानते हैं 27 नक्षत्रों के नाम , मंत्र और उनके देवता।पहले मै नक्षत्र का नाम दे रहा हूँ फिर उस नक्षत्र का मंत्र और अंत में उस नक्षत्र के देवता का नाम ।
1 अश्विनी नक्षत्र (ओम अश्वनी भयाम नमः) अश्विनी देवता ।
2 भरणी नक्षत्र (ओम यमाय नमः) यमराज देवता
3 कृतिका नक्षत्र (ओम आगनेय नमः) अग्नि देवता
4 रोहिणी नक्षत्र (ओम ब्रहमणे नमः ) ब्रहमा जी भगवान
5 मृगशिर नक्षत्र (ओम चंदरमसे नमः ) चंद्रमा देवता
6 आद्रा नक्षत्र (ओम रूद्राय नमः ) शिव शंकर भगवान
7 पुनरवसु नक्षत्र (ओम आदितये नमः) आदित्य देवता
8 पुष्य नक्षत्र (ओम ब्रहसपतये नमः ) बृहस्पति देवता
9 अशलेशा नक्षत्र (ओम सरपे भयो नमः ) नाग देवता
10 मघा नक्षत्र (ओम पितरभयो नमः ) हमारे घर के पित्तर देवता
11 पुर्वा फालगुनी नक्षत्र (ओम भगाय नमः ) भग देवता
12 उतरा फालगुनी नक्षत्र (ओम अरयमने नमः ) अरयमा देवता
13 हस्त नक्षत्र (ओम सवितरे नमः ) सविता देवता
14 चित्रा नक्षत्र (ओम तवषट्रे नमः ) विश्वकर्मा देवता
15 स्वाती नक्षत्र (ओम वायवे नमः ) वायु देवता
16 विशाखा नक्षत्र (ओम इन्द्रागनी भयाम नमः ) इन्द्रागनी देवता
17 अनुराधा नक्षत्र (ओम मित्राय नमः ) मित्र देवता ( यह एक देवता का नाम है हमारे मित्र का नही है )
18 जयेष्ठा नक्षत्र (ओम इन्द्राय नमः ) इन्द्र देवता
19 मूल नक्षत्र (ओम निरितये नमः ) निरीती देवता
20 पुर्वा षाढा नक्षत्र (ओम उदभयो नमः ) उदक देवता
21 उतरा षाढा नक्षत्र (ओम विशवे भयो देवे भयो नमः ) विशवे देव देवता
22 श्रवण नक्षत्र (ओम विष्णवे नमः ) विष्णु भगवान
23 धनिष्ठा नक्षत्र (ओम वसुभयो नमः ) वसु देवता
24 सतभीषा नक्षत्र (ओम वरूणाय नमः) वरूण देवता
25 पुर्वा भादरपद नक्षत्र (ओम अजैक पदे नमः) अजैकचरण देवता
26 उतरा भादरपद नक्षत्र (ओम अहिर बुधंन्याय नमः )अहिर बुधंनय देवता
27 रेवती नक्षत्र (ओम पुषणे नमः ) पुषा देवता
उपर लिखे सभी मंत्र स्वतः सिद्ध मंत्र है । इन्हें सिद्ध करने की आवश्यकता नही है। ये जपने के समय से ही अपना प्रभाव देना शुरू कर देते हैं इसलिए जो मनुष्य वर्तमान समय मे पराइवेट या सरकारी नोकरी करता हो वह इन मंत्रो से दुर ही रहे एसा ना हो आप किसी गलत मंत्र का चुनाव करके जप ले ओर आपकी नोकरी चली जाए इन
उपर लिखे 27 नक्षत्रों मे से हमारे शरीर का जो भी नक्षत्र कमजोर हो जाता है शरीर के उसी हिस्से मे रोग हो जाते हैं या उस हिस्से में चोट लग जाती है । अगर हम उस कमजोर नक्षत्र को इन उपर लिखे मंत्रो से बलवान कर लेते हैं तो शरीर के उस हिस्से का रोग अपने आप ही ठिक हो जाता है ओर वह नक्षत्र हमारी कुंडली के जिस भी भाव मे होता है वह भाव बलवान हो जाता है ओर हमे हर प्रकार से शुभ फल प्रदान करता है । नक्षत्र के बलवान होने से उसका स्वामी ग्रह भी बलवान हो जाता है ।
अगर आपको नक्षत्र मंत्र के जाप करने दिक्क्त आती हो या आप नहीं जानते कि आपका कौनसा नक्षत्र कमजोर है, कौनसे नक्षत्र को बलवान करना है तो आपको मैं एक बहुत ही सरल तरीक़ा बता रहा हूँ जिसको करने से कोई भी कमजोर नक्षत्र हो वह बलवान हो जाता है। यह बाहर ही शक्तिशाली और अचूक उपाय है नक्षत्र को बलवान करने का:-
आप “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जा करके ये कह दें कि हे वासुदेव मेरा ये “नाम वाला ” नक्षत्र बलवान कर दें। बस इतनी प्रार्थना मात्र से वासुदेव आपके उस नक्षत्र को बलवान कर देते हैं।
तो ये थे 27 नक्षत्रों के नाम , उनके देवता के नाम और नक्षत्रों के मंत्र तथा उनको बलवान करने के उपाय।