आइये जानते हैं कि क्या करने से हमारे ग्रह ख़राब हो जाते हैं और बिगड़े ग्रहों को ठीक करने के उपाय क्या हैं?
1. सूर्य – आत्मा की बात न मानने, आत्मा को कष्ट देने, राजा की आज्ञा न मानने, कर (टेक्स) की चोरी करने और किसी का दिल दुखाने से सूर्य ग्रह अशुभ फल देता है।
2. चन्द्र – माता या माता समान स्त्रियों, सास, दादी एवं नानी को कष्ट देने, दूध-पानी का दान लेने और दान में ली हुई वस्तु का दान करने से चन्द्रमा खराब असर देता है।
3. मंगल भाई से झगड़ा करने, भाई का अधिकार मारने से, साले के साथ झगड़ा करने और तीखी (वाणी) से अपमानित करने पर मंगल अशुभ फल देता है।
4. बुध– हिजड़े, बहन, बेटी, साली, मौसी, बुआ को कष्ट देने, इन्हें अपमानित करने और इनका धन लेने के कारण बुध ग्रह अशुभ फल देता है।
5. गुरु ( वृहस्पति) – गुरु, पिता, दादा को कष्ट देने, पीपल वृक्ष कटवाने तथा बुजुर्ग साधु महात्मा को कष्ट देने और छल कपट करने से गुरु ग्रह खराब असर देता है।
6. शुक्र पत्नी को कष्ट देने, मैले व गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे-पुराने और फटे वस्त्र रखने से भगवान शंकर का अपमान होता है। इससे शुक्रग्रह अशुभ फल दाता हो जाता है ।
7. शनि – चाचा, ताऊ से झगड़ा करने, मजदूर को मजदूरी न देने, नौकरों की बुराई करने ओर अपशब्द बोलने, शराब पीने, मांस मछली का उपयोग करने, मकान मालिक से दुकान मकान खाली करने हेतु धन लेने व अन्याय करने, सहयोगी की बात टालने और बदनियती करने से शनि ग्रह अशुभ फल देता है ।
8. राहु – ननिहाल, ससुराल परिवार से झगड़ा करने, बड़े भाई का दिल दुखाने, झूठी गवाही देने, सपेरे का अपमान व बेईमानी करने से राहु अशुभ फल देता है।
9. केतु – भतीजे, भांजे को दुःख पहुँचाने, कुत्ते को मारने या मरवाने, शिव मन्दिर या अन्य मन्दिर की ध्वजा को नष्ट करने, चोरी करने तथा भारी कंजूस होने से केतु ग्रह अनिष्ट फल देते हैं।
इस प्रकार व्यक्ति अपने कर्म अनुसार ग्रह को पीड़ित करने या ग्रहों के विपरीत कार्य करने से दुःख पाता है। सुख-दुःख पाता है।शुभ और अच्छे कार्य से अशुभ ग्रह भी शुभत्व प्रदान करते हैं और दुष्कर्म और ग्रहों के विपरीत कार्य करने से शुभ ग्रह भी विपरीत या अशुभ फल देते हैं।
ग्रहों के अनुरूप कार्य कर उन्हें प्रसन्न करने हेतु कुछ उपाय निम्न लिखित हैं |ग्रहों को ठीक करने के उपाय
• गुरु –
- केशर युक्त चन्दन का त्रिपुण्ड भगवान शंकर को लगायें । गुरु, माता, बुजुर्गों का आशीर्वाद लेवें। सफेद दाड़ी-मूँछ वाले बुजुर्ग व्यक्ति को पीला मीठा भोजन करायें। पाँच हल्दी की गाँठें प्रत्येक गुरुवार को शिव मंदिर में चढ़ायें।
- शिव मंदिर में केशर दान करें। गाय को गुड़-चना एवं तीन अनाजों से मिश्रित तीन रोटी खिलायें।
- तीन गुरुवार भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करायें एवं शिव सहस्रनाम का पाठ करें। पंचमुखी रुद्राक्ष नन्दी के गले में पहनावें । गुरुमंत्र का प्रतिदिन एक माला का जाप करें।
• सूर्य –
- अन्धों को मीठा भोजन करायें, रविवार को नमक न खायें। शिव मन्दिर में रोशनी की व्यवस्था करायें।
- सामर्थानुसार शिव मन्दिर में गुड़ ओर गेहूँ दान करें। माणिक्य भस्म, गंगाजल व शहद मिलाकर शिवलिंग पर लेप करें। मुँह मीठा कर घर से बाहर निकलें।
• बुध –
- माता या माता समान स्त्रियों की सेवा करना, शिवजी को भाँग, इलायची, पान के पत्ते, जटामाँसी, मूँग की दाल (छिलके युक्त) या मूँग की दाल के लड्डू चढ़ाना चाहिए।
- बार-बार और आकस्मिक हानियों से बचने हेतु हिजड़ों को हरी वस्तुएँ दान करें। बहन, बुआ, मौसी और साली से सम्बन्ध ठीक रखने से बुध का फल शुभ होगा। चौमुखी रुद्राक्ष मिल सके तो गले में पहनें।
• शनि –
- प्रत्येक शनिवार को पीपल के पत्ते पर काली तिली रखकर कपूर का दीपक शिव मंदिर में जलाने से शनि का प्रकोप कम होता है।
- मजदूरों को तेलयुक्त भोजन करायें, जूते व वस्त्र दान करें। प्रत्येक शनिवार पाँच पीपल के पत्ते और शमी वृक्ष की पत्ती शिव मंदिर में चढ़ायें। लूले, लंगड़े गरीब लोगों को भोजन करायें।
- किसी एकान्त स्थान में चिल्लाकर जितनी बार संभव हो महाकालाय नमः शनि कालाय ॐ शिवाय नमः ॐ नमः शिवायः का जाप करें।
- शनिवार को शिव परिवार की प्रशंसा करें । मांस, मदिरा, मछली, अण्डा गृहण न करे। जल में तिली का तेल डालकर स्नान करें।
- भगवान शंकर को काला भूत इत्र लेप करें ।
- चन्दन, बादाम एवं जैतून युक्त तेल की पूरे शरीर में मालिश कर स्नान करना चाहिये।