कैसे देखें जन्म कुंडली में प्रेम विवाह योग (Love Marriage Yog)
आप सबने अपने जीवन मे कभी ना कभी तो अपनी या किसी ओर की कुंडली यानी जन्मपत्रिका जरूर देखी होगी। आप यह भी जानते ही हैं कि कुंडली में बारह भाव यानी घर होते हैं।
अब बात आती है प्रेम विवाह यानी लव मैरिज की तो देखिए जब भी हम वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रेम और विवाह को देखने जाएंगे तो कुंडली के बारह में से तीन घर और उन तीन घरों के स्वामी ग्रहों को सबसे पहले देखेंगे।
वो तीन घर ये हैं जिनको प्रेम विवाह के लिए देखेंगे:
• पहला घर और उसका स्वामी। पहला घर होता है आप स्वयं का और इसके स्वामी यानी लग्नेश (क्योंकि पहले घर को लग्न भी कहते हैं)यह आपके जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण ग्रह है।
• पाँचवा घर और उसका स्वामी। जन्मपत्रिका में पाँचवा घर प्रेम/रोमांस/प्रेमी-प्रेमिका का होता है। और इसके स्वामी पंचमेश जो एक लक्ष्मी स्थान त्रिकोणके स्वामी होने की वजह से बहुत शुभ ग्रह है।
• सातवां घर और उसका स्वामी। कुण्डली में सांतवां घर यानी विवाह/जीवनसाथी का घर और इसके स्वामी सप्तमेश जो विवाह के लिए अति महत्वपूर्ण ग्रह है।
उपरोक्त तीनो में से एक, दो अथवा तीनो के तीनों घरों का और इनके स्वामियों का जब आपस मे कोई मिलाप हो / युति हो या कोई अन्य योगायोग बने तब दिल से किया गया प्रेम अपनी पूर्णता को प्राप्त होता है अर्थात प्रेम विवाह सम्पन्न होता है।
परन्तु यह मिलाप / युति अगर छठे, आठवें या बारहवें घर पर बनती है तो दोनों जातकों के बीच प्रेम होने के बाद भी परिस्थितिवश प्रेम का बलिदान करना पड़ सकता है।
अतः हमने देखा कि प्रेम विवाह ( Love Marriage ) के लिए मुख्य रूप से जन्मकुंडली का पांचवा, सातवां और नौंवा घर तथा इन घरों के स्वामी ग्रहों की स्थिति तथा उनकी दृष्टि को देख परख कर विचार किया जाता है।
मैंने बहुत सी जन्म कुंडली देखने के बाद दो महत्वपूर्ण योगों का विवाह पर बहुत गहरा प्रभाव होते देखा है। निजी शोध व अनुभव से मैंने पाया कि:
• जिन भाग्यवान लोगो की जन्मपत्रिका में विवाह के सप्तम भाव मे देवगुरु बृहस्पति आ विराजते हैं उन लोगों को एक ऐसा जीवनसाथी प्राप्त होता है जो जीवन के लिए किसी वरदान से कम नही होता।
• जिन जातकों की जन्मपत्रिका में विवाह घर के स्वामी यानी सप्तमेश, एकादश भाव मे स्थित हो जाते हों तो ऐसे जातक को अपनी इच्छा के अनुसार ही जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।क्योकि एकादश भाव अर्थात प्राप्ति स्थान: लाभ स्थान और यहाँ जिस किसी भी भाव के स्वामी विराजमान होंगे तो उनके फल में निश्चित ही वृद्धि होगी।
दो प्रेमियों के प्रेम विवाह का फल कथन कहने से पहले इसके अतिरिक्त अनेकानेक योग तथा नवमांश कुण्डली-सप्तांश कुण्डली तथा कारकांश एवं उपपद द्वारा गंभीर विवेचना अति आवश्यक है।
कुंडली में प्रेम का कारक ग्रह
जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह वह ग्रह है जिसे प्रेम का काकर ग्रह माना गया है। सुख का कारक ग्रह शुक्र यदि पंचमेश या सप्तमेश बनता है तो कुंडली में प्रेम विवाह यानी लव मैरिज का योग होता है।इस स्थिति में जातक के परिवार और संबंधियों से भी साथ मिलता है।
प्रेम विवाह( Love Marriage) में अड़चनें
यदि आप प्रेम विवाह में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो आपको देखना चाहिए कि कहीं आपकी जन्मकुंडली में शुक्र, बुध, गुरु, और राहु कमजोर तो नही हैं। ऐसा देखा गया है कि जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति की प्रेम भावना कमजोर हो जाती है। साथ ही गुरु यदि पीड़ित हो तब भी वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने लगती हैं। बुध ग्रह कमजोर होने की स्थिति में विवाह के बाद जीवनसाथी से धोखा मिलने की संभावना बनी रहती है। जबकि राहु के कमजोर होने पर वैवाहिक जीवन में कई बार शक की स्थिति पैदा हो जाती है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली के सप्तम और पंचम भाव के कमजोर होने पर भी प्रेम विवाह के योग बनने की संभावना कम ही रहती है। वहीं कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों को प्रेम में धोखा मिलने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा यदि किसी की कुंडली में कारक ग्रहों के साथ कोई अशुभ या नीच ग्रह मौजूद होता है तो प्रेम विवाह में रूकावट आने की संभावना रहती है।
प्रेम विवाह को सफल बनाने के उपाय
• अगर आप प्रेम विवाह करना चाहते हैं और आपके विवाह में देरी हो रही है तो आपको नीचे दिए मंत्र का रोज़ 108 बार मंत्रोच्चार करना चाहिए।
“क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”
इसके साथ ही गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी जी की मूर्ति के आगे निम्न मंत्र ‘ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नमः’ का प्रतिदिन स्फटिक
की माला से एक सौ आठ बार जाप करना चाहिए।
• यदि आपके विवाह में अड़चने व रुकावट आ रही हों तो आपको भगवान शिव की पूजा व आराधना करनी चाहिए। शिवलिंग का गंगाजल व दूध से रूद्राभिषेक करना चाहिए। मंदिर में शिवलिंग के समक्ष बैठकर रूद्राक्ष की माला से ‘ॐ सोमेश्वराय नमः’ का एक सौ आठ बार जाप करना चाहिए।
कुछ प्रसिद्ध लोगों की कुंडली में देखते हैं प्रेम विवाह का योग
मैं जानता हूँ ज्यादातर लोग ज्योतिष के सिद्धान्तों से अनभिज्ञ है उनको यह सिद्धांत बिल्कुल समझ नही आया होगा।
तो आइए हम इन सिद्धांतों को कुछ प्रसिद्ध लोगो की कुंडली से समझने की कोशिश करते हैं। जिनके बारे में हमे पता है कि उन्होंने प्रेम विवाह किया है। उनके जीवन मे प्रेम विवाह कैसे घटित हुआ, किन ग्रहों के किन स्थानों पर रहने से हुआ यह समझते हैं।
पहला उदाहरण लेते हैं अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का।
दीपिका की जन्मपत्रिका में सप्तम भाव यानी विवाह के घर के स्वामी है मंगल और वे लग्न भाव मे स्थित हैं।लग्न भाव दीपिका स् वयं को दर्शाता है और लग्न में विवाह भाव के स्वामी मंगल का स्थित होना यहबताता है की वह अपनी पसंद से विवाह करेंगी। रणवीर सिंह से उनका प्रेम विवाह इस बात को सिद्ध करता है।
अब एक पुराना उदाहरण लेते हैं श्री संजय गांधी का।
इनकी जन्मकुंडली को देखिए। यहाँ लग्न भाव स्वामी है शनि और वह स्थित हैं सप्तम भाव में। सप्तम भाव विवाह और जीवनसाथी को दर्शाता है और यहाँ लग्न भाव के स्वामी शनि का स्थित होना यह बता रहा है की इनका विवाह स्वेच्छा से होगा। इन्होंने श्रीमती मेनका गांधी से स्वेच्छा से ही प्रेम विवाह किया था।
अब एक और प्रसिद्ध व्यक्तित्व श्रीमती इंदिरा गांधी का उदाहरण लेते हैं।
श्रीमती इंदिरा गांधी की कुंडली में दीपिका पादुकोण और संजय गांधी दोनो के योगों का मिश्रण है। यहाँ लग्नेश चंद्रमा सप्तम भाव में और सप्तमेश शनि लग्न में है।
श्रीमती इंदिरा गांधी ने एक प्रसिद्ध नेता की पुत्री होते हुए रूढ़िवादी भारत में घूँघट प्रथा के बोलबाले के बीच अपनी ईच्छा से एक पारसी व्यक्ति के साथ प्रेम विवाह किया था।
श्री अखिलेश यादव जी को तो सब जानते ही हैं। आइये इस युवा नेता की जन्मकुंडली में प्रेम विवाह को खोजते हैं।
देखिये इनकी जन्मकुंडली में सप्तमेश गुरु हैं और वह प्रेम के भाव, पंचम भाव मे स्थित हैं। यहाँ एक बात पर और ध्यान दीजिए की लग्नेश बुध के साथ मे एक योग बना रहे है जो प्रेम के बाद अपनी इच्छा से विवाह करने को दर्शाता है।
डिम्पल यादव के साथ इनका प्रेम कॉलेज के समय से चला आ रहा था जिसको इन्होंने विवाह के बंधन में बंधकर पूर्ण किया।
सचिन तेंदुलकर की जन्मपत्रिका पर भी नज़र डाल लेते हैं।
इनकी जन्मकुंडली में बृहस्पति सप्तम भाव में हैं तथा सप्तमेश होकर शनि ग्यारवें भाव में स्थित हैं। इनकी जन्मपत्रिका में प्रेम विवाह की दो दो शर्ते पूरी हो रही हैं। इनका अंजलि तेंदुलकर के साथ प्रेम विवाह निश्चित ही एक सफल विवाह का सूचक है।
चर्चित क्रिकेटर विराट कोहली की जन्मपत्रिका में प्रेम विवाह के योग की समझते हैं।
इनकी कुंडली देखिये यहाँ सप्तमेश बुध ग्यारवें भाव में भाग्य भाव के स्वामी सूर्य के साथ बैठे हैं। अब लोग तो अनुष्का को कोहली के लिए पनौती ही मानते है लेकिन विराट तो अनुष्का को लेडी लक ही मानते हैं।
अंत में एक उदाहरण एक दुर्लभ प्रेम कहानी का देखिये।
ये उन महिला का उदाहरण है जिनके लोकसभा चुनाव जीत जाने की खुशी में इनके पति ने अपने महल से सोने-चांदी के सिक्कों की बौछार कर दी थी।
भारत की सबसे पहली फेरारी इन्हें तोहफे में अपने पति से मिली थी दी। उच्च क्लास के लोग इनके प्रेम के चर्चे बड़े चाव किया करते थे। इनकी लोकप्रियता और तारीफें की एक बानगी तो देखिए कि इनके प्रति श्रीमती इंदिरा गांधी भी निजी वैर और ईर्ष्या रखती थी।
इनकी जन्मकुंडली में प्रेम और रोमांस के भाव के स्वामी पंचमेश शुक्र की युति, सप्तमेश गुरु ( जो कि जीवन साथी के भाव का स्वामी है) के साथ स्वयं के भाव यानी लग्न भाव मे हो रही है।
यह सुखद प्रेम विवाह महारानी गायत्री देवी और सवाई मानसिंह जी का प्रेम विवाह था। जिनके सफल वैवाहिक जीवन की कहानी हम सभी के सामने है।
आशा करता हूँ कि उपरोक्त उदाहरणों से आपको जन्मकुंडली में प्रेम विवाह के योग को समझने में कुछ आसानी जरूर हुई होगी।
मैंने निजी जीवन मे अनेकों जन्मपत्रिका में प्रेम विवाह के योग देखें हैं जिनका प्रेम विवाह हुआ है । उनकी जन्मपत्रिका में ये स्पष्ट परिलक्षित होता भी है। लेकिन मैंने यहाँ उनके उदाहरण इसलिए नही दिए क्योंकि एक तो उनके निजत्व का हनन नही किया जा सकता और उनका जीवन कोई खुली किताब नही है। इसिलए प्रसिद्ध हस्तीयों के उदाहरण दिए क्योंकि उनके बारे में हर किसी को सब कुछ पता है।
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